Tuesday 6 November 2012

……हर काली रात के बाद होता एक सवेरा सुनहेरा देखा है






रुकी हुई हैं  कुछ बाते, लबो तक आते आते 
की बातों का असर दिलो पे होते कुछ गहरा देखा है ,

कैद हैं कुछ ख्वाब जागती रात की इस वीराने में 
की सपनो पर हमने अश्को का पहरा देखा है 

बहुत हलचल है इसकी गहराई में 
ऊपर से जिस  पानी को तुमने शांत ठहरा देखा है , 

नाज था कभी जिन्हें अपनी उड़ानों पर 
आज भटकते उन्हें हमने सहरा-सहरा देखा है,

वार दिए अपने सपने और खुशियाँ जिनकी परवरिश में 
आज उन्ही संतानों को अपने माँ-बाप के बोझ से होते दोहरा देखा है,

नकारे किसको और किस पर यकीन करे 
की हर रोज़ हमने नियति का एक नया चेहरा देखा है,

छंट जाएगी हर धुंध बस थोडा धीरज रख दोस्त 
की हर काली रात के बाद  होता एक सवेरा सुनहेरा  देखा है 

-सोमाली